12 more airports to be privatised

 

Report by KEC correspondent

Airports Authority of India (AAI) has planned to privatise 12 more airports after merging one small airport with a bigger one.

The Airports Authority of India (AAI) has planned to privatise 12 more airports after merging one small airport with a bigger one.
Six Airports at Lucknow, Ahmedabad, Mangaluru, Jaipur, Guwahati and Thiruvanathpuram had already been privatised in 2020 and will be run by the Adani group. Adani group has also acquired Mumbai airport from the GVK group.
Four major airports at Delhi, Mumbai, Bengaluru and Hyderabad are already privatised. The government now plans to sell its remaining minority shareholdings in these major airports.
The plan is to now privatise Varanasi, Bhubaneswar, Amritsar, Raipur, Indore and Trichy after carrying out the mergers of six small airports:
1. Kushinagar-Gaya with Varanasi
2. Jharsuguda with Bhubaneswar
3. Kangra with Amritsar
4. Jalgaon with Raipur
5. Jabalpur with Indore
6. Salem with Trichy
All these airports have been built with public money and are now being offered for private profit.

 

 

Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Shailendra
Shailendra
3 years ago

60 खरब की सरकारी संपत्‍त‍ि बेचेगी मोदी सरकार, प्लान सामने रख बोलीं सीतारमण- मालिक हम ही रहेंगे  

सीतारमण ने कहा कि कम उपयोग वाली संपत्तियों की हिस्सेदारी को बेचा जाएगा। इनका मालिकाना हक सरकार के पास रहेगा। सरकार अपनी कोई भी संपत्ति नहीं बेचेगी। इसका बेहतर तरीके से इस्‍तेमाल करेगी।
पीएसयू समेत सरकारी कंपनियों की कई संपत्तियों को बेचने या लीज पर देने की तैयारी कर ली है। इसे अगले चार सालों के दौरान अमल में लाए जाने की योजना है।
मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार के थिंक टैंक ने कई मंत्रालयों से बात करने के बाद यह योजना तैयार की है। इस योजना में इस तरह की संपत्तियों की लिस्ट तैयार की गई है। पावरग्रिड की ट्रांसमिशन लाइन्स से लेकर, बीएसएनएल, एमटीएनएल के टावर, गेल की पाइपलाइन और कई एयरपोर्ट इस सूची में शामिल हैं। इन कंपनियों के एसेट्स की बिक्री से मोदी सरकार को 60 खरब रुपये जुटाने में मदद मिलेगी।
उधर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) प्‍लान का अनावरण किया। उन्‍होंने कहा कि कम उपयोग वाली संपत्तियों की हिस्सेदारी को बेचा जाएगा। यह मिशन बहुत सारे सेक्‍टर्स को कवर करेग। इसमें रोड, रेलवे, एयरपोर्ट से लेकर पावर ट्रांसमिशन लाइन्‍स और गैस पाइपलाइंस भी शामिल हैं। वित्‍त मंत्री ने कहा कि सरकार अपनी कोई भी संपत्ति नहीं बेचेगी। इसका बेहतर तरीके से इस्‍तेमाल करेगी। इनका मालिकाना हक सरकार के पास रहेगा।
ध्यान रहे कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही कह चुकी हैं कि राजकोषीय घाटा पूरा करने के लिए सरकार इस तरह की संपत्तियों को बेचने की योजना बना रही है। कोरोना की मार से बेहाल सरकार के पास राजस्व जुटाने के विकल्प काफी कम हैं। लिहाजा इन संपत्तियों का बिकना तय माना जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के टावरों को लीज पर देने के साथ उन्हें बेचा भी जा सकता है। गेल के पाइपलाइन बिजनेस को मूल कंपनी से अलग किया जा सकता है। उसे लॉन्ग टर्म लीज पर दिया जा सकता है या फिर इसे पूरी तरह बेचा भी जा सकता है। बीएसएनएल, एमटीएनएल के टावर निजी टेलिकॉम कंपनियों को पहले ही रेंट पर दिए गए हैं।
सरकार रेल और रोड से जुड़ी संपत्तियों को भी बेचने की फिराक में है। मामले से जुड़े लोगों का दावा है कि वित्त मंत्रालय पीएम मोदी की लाइन पर काम कर रहा है। वो पहले ही मंशा जाहिर कर चुके हैं कि सरकार कुछ चुनिंदा सेक्टरों में ही अपनी उपस्थिति रखने के मूड़ में है।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में इस साल रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री पर भी ज्यादा फोकस होगा क्योंकि सरकार को कुछ कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम करनी है। सरकार ने साल 2019-20 में पीएसयू के विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। 23 सीपीएसई में रणनीतिक विनिवेश की सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है।
सरकार रेल और रोड से जुड़ी संपत्तियों को भी बेचने की फिराक में है। मामले से जुड़े लोगों का दावा है कि वित्त मंत्रालय पीएम मोदी की लाइन पर काम कर रहा है। वो पहले ही मंशा जाहिर कर चुके हैं कि सरकार कुछ चुनिंदा सेक्टरों में ही अपनी उपस्थिति रखने के मूड़ में है।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में इस साल रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री पर भी ज्यादा फोकस होगा क्योंकि सरकार को कुछ कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम करनी है। सरकार ने साल 2019-20 में पीएसयू के विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। 23 सीपीएसई में रणनीतिक विनिवेश की सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है।


Jansatta

मुखपृष्ठ

ई-पेपर

कोरोना

ख़बरें

राष्ट्रीय

गेम्स

अंतरराष्ट्रीय

व्यापारexpand

खेलexpand

राज्यexpand

विचारexpand

मनोरंजन

लाइफस्टाइलexpand

हेल्थ

जुर्म

यूटिलिटी न्यूज

एजुकेशन

जॉब

ट्रेंडिंग

ऑटो

टेक्नोलॉजी

फोटो

ऑडिओ

वीडियो

राशिफल

आस्‍था

हास्य-व्यंग्य

कला और साहित्य

होम

 

राष्ट्रीय

 

अंतरराष्ट्रीय

 

खेल

 

विचार

 

राज्य

 

मनोरंजन

 

ट्रेंडिंग

 

टेक्नोलॉजी

 

करियर

 

फोटो

 

ऑटो

 

वीडियो

 

ई-पेपर

 

गेम्स

HOME

राष्ट्रीय

60 खरब की सरकारी संपत्‍त‍ि बेचेगी मोदी सरकार, प्लान सामने रख बोलीं सीतारमण- मालिक हम ही रहेंगे  

सीतारमण ने कहा कि कम उपयोग वाली संपत्तियों की हिस्सेदारी को बेचा जाएगा। इनका मालिकाना हक सरकार के पास रहेगा। सरकार अपनी कोई भी संपत्ति नहीं बेचेगी। इसका बेहतर तरीके से इस्‍तेमाल करेगी।

Written By जनसत्ता ऑनलाइनEdited By shailendra gautam

नई दिल्ली

Updated: August 23, 2021 8:07:31 pm

एयर इंडिया। (फोटोः ट्विटर@ANI)

मोदी सरकार ने 60 खरब की सरकारी संपत्ति की बिक्री की तैयारी कर ली है। सरकार की योजना अमल में आई तो सरकारी संपत्ति की बिक्री का ये सबसे बड़ा मामला होगा। सरकार ने ट्रांसमिशन लाइन, टेलिकॉम टावर, गैस पाइपलाइन, हवाई अड्डे, पीएसयू समेत सरकारी कंपनियों की कई संपत्तियों को बेचने या लीज पर देने की तैयारी कर ली है। इसे अगले चार सालों के दौरान अमल में लाए जाने की योजना है।
मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार के थिंक टैंक ने कई मंत्रालयों से बात करने के बाद यह योजना तैयार की है। इस योजना में इस तरह की संपत्तियों की लिस्ट तैयार की गई है। पावरग्रिड की ट्रांसमिशन लाइन्स से लेकर, बीएसएनएल, एमटीएनएल के टावर, गेल की पाइपलाइन और कई एयरपोर्ट इस सूची में शामिल हैं। इन कंपनियों के एसेट्स की बिक्री से मोदी सरकार को 60 खरब रुपये जुटाने में मदद मिलेगी।